मुंबई, 19 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। संसद के मानसून सत्र से पहले शनिवार को विपक्षी INDIA गठबंधन की एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई, जिसमें 20 से अधिक दलों के नेता शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य संसद में सरकार के खिलाफ एकजुट होकर मुद्दे उठाने की रणनीति तय करना था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और सीपीआई (एमएल) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य सहित कई प्रमुख चेहरे इसमें शामिल हुए। नेताओं ने सहमति जताई कि संसद में वे एकजुट रहेंगे और सरकार से तीखे सवाल पूछेंगे। बैठक के दौरान बिहार में वोटर लिस्ट की जांच, पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जली हुई नकदी मिलने के मामलों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने के दावे को लेकर भी विचार विमर्श किया गया। कांग्रेस ने तय किया है कि वह संसद में जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने, महिलाओं पर अत्याचार, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, देश की सुरक्षा और अहमदाबाद एयरक्रैश जैसे अहम मुद्दों को मजबूती से उठाएगी।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस बैठक में शामिल नहीं हुईं। तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को 'शहीद दिवस' मना रही है, जिस कारण उसके नेता कोलकाता में व्यस्त थे। वहीं आम आदमी पार्टी इस समय गुजरात और अन्य राज्यों में अपने संगठन के विस्तार पर ध्यान दे रही है। AAP पहले ही साफ कर चुकी है कि उसका कांग्रेस से कई राज्यों में सीधा राजनीतिक मुकाबला है और उसके अनुसार INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक ही सीमित था।
इसके बावजूद विपक्षी नेताओं ने भरोसा दिलाया है कि संसद में विपक्ष एकजुट रहेगा, भले ही कुछ दल बैठक में शामिल न हो पाए हों। इस बीच INDIA गठबंधन को लेकर उमर अब्दुल्ला, ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के पुराने बयान भी फिर चर्चा में आ गए हैं। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन की कोई बैठक नहीं हुई है, इसलिए इसे खत्म कर देना चाहिए। ममता बनर्जी ने गठबंधन के कमजोर प्रदर्शन पर नाराजगी जताते हुए इसकी कमान अपने हाथ में लेने की बात कही थी, जिसे सपा और शिवसेना (UBT) ने समर्थन दिया था। तेजस्वी यादव ने भी जनवरी में कहा था कि यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक के लिए ही बना था, और इसमें मतभेद अस्वाभाविक नहीं हैं। इन सब बयानों के बीच संसद का मानसून सत्र राजनीतिक तौर पर काफी अहम होने वाला है, जहां विपक्ष एक नई एकजुटता के साथ सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।