मुंबई, 19 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार की मेक इन इंडिया पहल पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल सिर्फ असेंबली तक सीमित है, असली मैन्युफैक्चरिंग नहीं हो रही। राहुल ने शनिवार को ग्रेटर नोएडा की एक लोकल टीवी असेंबली यूनिट का दौरा किया और X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के साथ 7 मिनट का वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बनता, तब तक रोजगार, विकास और मेक इन इंडिया की बातें महज भाषण ही रहेंगी। अपने पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा कि भारत में बनने वाले ज्यादातर टेलीविजन के 80% हिस्से चीन से आते हैं। उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के नाम पर हम केवल पुर्जे जोड़ते हैं, जबकि निर्माण का काम विदेशों में होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि छोटे उद्यमी निर्माण करना चाहते हैं, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें न नीति मिल रही है, न सहयोग। इसके उलट भारी टैक्स और कुछ चुनिंदा कॉरपोरेट्स के एकाधिकार ने देश के उद्योगों को जकड़ रखा है। राहुल गांधी ने कहा कि भारत को चीन की बराबरी में लाना है तो असेंबली लाइन से आगे बढ़कर असली मैन्युफैक्चरिंग पावर बनना होगा। तभी देश को रोजगार मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होगा।
राहुल गांधी पहले भी कई बार इस पहल की आलोचना कर चुके हैं। जनवरी 2018 में उन्होंने इसे फेक इंडिया प्रोग्राम कहा था और दावा किया था कि निवेश 13 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। 2019 में तमिलनाडु की एक रैली में उन्होंने आरोप लगाया था कि बाजार चीन के सामान से भरे पड़े हैं। 2020 में मंदसौर में भी उन्होंने यही बात दोहराई थी। 2025 में संसद में उन्होंने कहा था कि मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा GDP में घटकर 60 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया है और सरकार के प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। जून 2025 में उन्होंने टेक्निशियन के साथ बातचीत में कहा कि हम केवल असेंबल करते हैं और चीन असली मुनाफा कमाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की PLI योजना भी अब धीमी गति से बंद हो रही है।
उधर, मोदी सरकार का दावा है कि मेक इन इंडिया के जरिए भारत को एक वैश्विक विनिर्माण और निवेश केंद्र बनाने की कोशिश की गई। इस योजना की शुरुआत 25 सितंबर 2014 को की गई थी और 25 प्रमुख क्षेत्रों को इसमें प्राथमिकता दी गई थी। सरकार के मुताबिक, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत ने 2014 से 2020 के बीच 79 स्थानों की छलांग लगाई। हालांकि, 2020 के बाद सरकार को PLI योजना के जरिए आर्थिक प्रोत्साहन देना पड़ा जिससे इस पहल की आधारभूत कमियों की ओर भी संकेत मिला। अब सरकार मेक इन इंडिया 2.0 के तहत ऑटो, टेक्सटाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में फोकस के साथ काम कर रही है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि जब तक देश असली निर्माण नहीं करेगा, तब तक आत्मनिर्भर भारत और रोजगार के वादे अधूरे रहेंगे।