शादी एक सामाजिक संस्था है, लेकिन इसके साथ कई बार कानूनी विवाद भी जुड़ जाते हैं—खासकर तब, जब तलाक की स्थिति सामने आती है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में केरल हाईकोर्ट में सामने आया, जहां यह प्रश्न उठा कि शादी में दुल्हन को मिला सोना और नकद (कैश) क्या महिला की संपत्ति माना जाएगा या नहीं? क्या तलाक के बाद ससुराल पक्ष को यह धन वापस करना होगा?
इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब केरल हाईकोर्ट ने महिला के पक्ष में देते हुए साफ कर दिया है कि शादी में दुल्हन को मिला सोना और नकद ‘स्त्रीधन’ की श्रेणी में आता है, और उस पर महिला का पूर्ण कानूनी अधिकार होता है।
स्त्रीधन क्या होता है?
‘स्त्रीधन’ एक पुरानी लेकिन महत्वपूर्ण कानूनी अवधारणा है, जिसका अर्थ है—"महिला का धन"। इसमें वह संपत्ति आती है जो उसे शादी के समय माता-पिता, रिश्तेदारों या दोस्तों से उपहार स्वरूप मिली होती है। इसमें सोने-चांदी के गहने, नकद राशि, जमीन, कपड़े या अन्य मूल्यवान चीजें शामिल हो सकती हैं। इस पर पति या ससुराल वालों का कोई कानूनी हक नहीं होता।
केरल हाईकोर्ट का फैसला: महिला के पक्ष में न्याय
इस मामले में एर्नाकुलम की एक महिला ने फैमिली कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसके स्त्रीधन की वापसी की मांग को अस्वीकार कर दिया गया था। महिला ने बताया कि उसकी शादी साल 2010 में हुई थी, और शादी के दौरान मायके से उसे 63 सोने के सिक्के, 2 चेन, मंगलसूत्र, चूड़ी, अंगूठियां आदि उपहार में मिले थे। रिश्तेदारों की तरफ से भी 6 सोने के सिक्के दिए गए थे।
महिला का आरोप था कि शादी के बाद ये सारे गहने उसके सास-ससुर ने "सुरक्षित रखने" के नाम पर ले लिए, लेकिन वापस नहीं किए। साथ ही, पति ने मायके से ₹5 लाख मंगवाए और ना मिलने पर रिश्तों में खटास आ गई।
हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एमबी स्नेहलता शामिल थे, ने महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा:
“शादी में दुल्हन को जो सोना और नकद दिया गया है, वह उसकी निजी संपत्ति है और ससुराल वाले या पति उसे अपने पास नहीं रख सकते।”
सबूत और दलीलें: न्याय के आधार
महिला ने अपने पक्ष में वह दस्तावेज अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जिनसे यह साबित होता था कि सोना उसके माता-पिता ने फिक्स्ड डिपॉजिट से खरीदा था। कोर्ट ने इन सबूतों को स्वीकार करते हुए पति को निर्देश दिया कि वह महिला को सोना लौटाए।
हालांकि, कोर्ट ने दो दलीलें खारिज भी कीं:
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रिश्तेदारों द्वारा दिए गए 6 सोने के सिक्कों के बारे में महिला सबूत नहीं दे सकी, इसलिए उनका दावा अस्वीकार कर दिया गया।
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घरेलू सामान की वापसी को लेकर कोई पुख्ता सबूत न होने के कारण वह दावा भी खारिज कर दिया गया।
लेकिन महिला को मुख्य स्त्रीधन यानी शादी में मायके से मिला सोना वापस दिलाने का आदेश दिया गया।
कोर्ट की टिप्पणी: परंपरा की आड़ में अन्याय
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि:
“शादी के समय दुल्हन को दिया गया सोना पारिवारिक परंपराओं या ‘सुरक्षा’ की आड़ में पति या ससुराल वालों द्वारा अपने पास रख लिया जाता है। यह पूरी तरह से गलत है और इसे कानून की नजरों में अन्याय माना जाएगा।”
यह फैसला क्यों है अहम?
यह फैसला न सिर्फ एक महिला को न्याय दिलाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि:
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स्त्रीधन पर महिला का पूर्ण अधिकार है।
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विवाह टूटने पर महिला को उसकी संपत्ति लौटाना कानूनी बाध्यता है।
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ससुराल पक्ष परंपरा या भावनात्मक दबाव में महिला की संपत्ति को नहीं रख सकते।
निष्कर्ष: महिलाओं को जानना चाहिए अपने अधिकार
केरल हाईकोर्ट का यह फैसला देशभर की महिलाओं के लिए एक उदाहरण है कि वे अपने कानूनी अधिकारों के प्रति सजग रहें। शादी में मिले गहने या कैश सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि एक कानूनी हक है, जो किसी भी हालात में छीना नहीं जा सकता।
महिलाओं को चाहिए कि वे अपने स्त्रीधन का विवरण संभालकर रखें, सबूत सुरक्षित रखें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता लें।