मुंबई, 22 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे आरएसएस और बीजेपी की नई राजनीतिक रणनीति से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि यह घटना संदेह पैदा करती है और यह अचानक हुआ घटनाक्रम किसी गहरी राजनीतिक योजना का हिस्सा हो सकता है। गहलोत ने दावा किया कि धनखड़ किसानों से जुड़े मुद्दे संसद के अंदर और बाहर लगातार उठा रहे थे और यहां तक कि एक बार कृषि मंत्री को भी इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले से ही लग रहा था कि लोकसभा अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति दोनों ही किसी दबाव में काम कर रहे हैं और इसी आशंका के आधार पर उन्होंने जोधपुर में बयान भी दिया था।
गहलोत ने सवाल उठाया कि कोई व्यक्ति अचानक इस्तीफा क्यों देगा जब तक उस पर कोई दबाव न हो। उन्होंने कहा कि असलियत क्या है, यह केवल प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ही जानते हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब उन्होंने दबाव की बात कही थी तब धनखड़ ने जयपुर में खंडन किया था, लेकिन अब उनका इस्तीफा इस बात की पुष्टि करता है कि कहीं न कहीं कोई गंभीर बात जरूर रही है। गहलोत ने कहा कि वे धनखड़ के परिवार को 50 साल से जानते हैं और यह इस्तीफा सामान्य घटना नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं आरएसएस और बीजेपी कोई नया राजनीतिक मूव तो नहीं चलाने जा रहे हैं। गहलोत ने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह उपराष्ट्रपति को विदाई तक देने के मूड में नहीं है, जो न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि दुखद और कई सवाल खड़े करने वाला है। उन्होंने दोहराया कि यह मामला सामान्य नहीं है और समय आने पर इसकी हकीकत सामने आएगी। उन्होंने कहा कि 10 दिन पहले ही उन्होंने यह बात कही थी कि दोनों शीर्ष पदों पर बैठे नेता दबाव में काम कर रहे हैं और अब इस्तीफा उसी का प्रमाण है।
गहलोत ने कहा कि इस इस्तीफे ने पूरे देश को चौंका दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जैसे लोग हार्ट या बायपास सर्जरी के बावजूद पद पर बने रह सकते हैं, तो उपराष्ट्रपति को स्वास्थ्य कारण बताकर इस्तीफा देने की जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने कहा कि धनखड़ किसानों की आवाज सदन में उठाते रहे हैं और ऐसे में राजस्थान के लोगों को यह इस्तीफा भावनात्मक रूप से भी झटका देने वाला है। उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश की बात का समर्थन करते हुए कहा कि अगर इस्तीफा वापस लेने की कोई संभावना हो तो प्रधानमंत्री को खुद आगे बढ़कर धनखड़ को मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर जा रहे हैं और उपराष्ट्रपति इस्तीफा दे रहे हैं, तो यह पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री को प्रयास करना चाहिए कि यह इस्तीफा वापस हो और धनखड़ अपने पद पर बने रहें।