मुंबई, 01 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान एक बार फिर सतह पर आ गई है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला बेंगलुरु पहुंचे हैं और लगातार पार्टी विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के करीबी विधायक एच. ए. इकबाल हुसैन ने NDTV से बातचीत में दावा किया कि लगभग 100 विधायक मुख्यमंत्री बदलने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि अगर इस बार बदलाव नहीं हुआ, तो कांग्रेस 2028 का विधानसभा चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं होगी। हुसैन ने साफ किया कि वे सुरजेवाला के समक्ष इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिवकुमार ने पार्टी को जीत दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की है और अब उन्हें मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिलना चाहिए।
2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत में डीके शिवकुमार की अहम भूमिका मानी जाती है। तब वे मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर उन्होंने डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी स्वीकार की थी। उस समय ढाई-ढाई साल के रोटेशनल मुख्यमंत्री फॉर्मूले की भी चर्चा हुई थी, हालांकि पार्टी ने इसे कभी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया।
रणदीप सुरजेवाला के इस दौरे को राजनीतिक हलकों में सीएम और डिप्टी सीएम के बीच बढ़ती खाई से जोड़ा जा रहा है, हालांकि उन्होंने इस अटकल को पूरी तरह खारिज करते हुए अपने दौरे को सिर्फ "संगठनात्मक समीक्षा" बताया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने नेतृत्व परिवर्तन की खबरों को काल्पनिक बताया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार चट्टान की तरह मजबूत है और पांच साल तक टिकेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री बदलने का फैसला पूरी तरह हाईकमान पर निर्भर है और यह कोई नहीं जानता कि हाईकमान के मन में क्या चल रहा है। खड़गे ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर अनावश्यक विवाद खड़ा नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा ने कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधा। विपक्ष के नेता आर अशोक ने पूछा कि अगर खड़गे हाईकमान नहीं हैं, तो फिर राहुल गांधी, सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी में से कौन यह निर्णय लेता है? उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में फैसले केवल 10 जनपथ के बंद दरवाजों के पीछे लिए जाते हैं और पार्टी अध्यक्ष का पद सिर्फ दिखावे के लिए होता है।
इधर, कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सिद्धारमैया को कांग्रेस विधायक दल का नेता पूरे पांच साल के लिए चुना गया था और उस समय कार्यकाल को लेकर कोई समयसीमा तय नहीं की गई थी। यदि वे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहते हैं, तो यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा।
2023 में मुख्यमंत्री पद की घोषणा के तुरंत बाद एक इंटरव्यू में डीके शिवकुमार से जब यह पूछा गया था कि सरकार पांच साल टिकेगी या नहीं और क्या सिद्धारमैया के साथ नेतृत्व को लेकर कोई विवाद होगा, तो उन्होंने सिर्फ सरकार की स्थिरता पर जोर दिया था। लेकिन सिद्धारमैया के पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहने पर उन्होंने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया था। उसी समय यह अटकलें शुरू हुई थीं कि दोनों नेताओं के बीच ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सहमति बनी है, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि आज तक नहीं हुई।