मुंबई, 04 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारत की वंशवादी राजनीति पर कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन प्रोजेक्ट सिंडिकेट में लिखे अपने लेख ‘Indian Politics Are a Family Business’ में कहा कि भारतीय राजनीति अब परिवारों के इर्द-गिर्द घूमने लगी है और यह लोकतंत्र की असली भावना के खिलाफ है। थरूर के मुताबिक जब तक राजनीति को पारिवारिक नियंत्रण से मुक्त नहीं किया जाता, तब तक लोकतांत्रिक शासन की जड़ें मजबूत नहीं हो सकतीं।
थरूर ने अपने लेख में सुझाव दिया कि भारत को अब परिवारवाद से हटकर योग्यता-आधारित राजनीतिक व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए। इसके लिए उन्होंने कानूनी रूप से तय कार्यकाल, राजनीतिक दलों में नियमित आंतरिक चुनाव और मतदाताओं में जागरूकता बढ़ाने जैसे बुनियादी सुधारों की जरूरत बताई। उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को भारत का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार बताया और कहा कि हालांकि इस परिवार की विरासत स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी रही है, लेकिन इसी कारण लोगों में यह धारणा भी बन गई कि राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार है। थरूर ने आगे कहा कि भारत में यह प्रवृत्ति केवल एक पार्टी तक सीमित नहीं है, बल्कि लगभग हर राज्य में देखने को मिलती है।
थरूर ने उदाहरण देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों, ओडिशा में नवीन पटनायक, महाराष्ट्र में उद्धव और आदित्य ठाकरे, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव, बिहार में रामविलास और चिराग पासवान, पंजाब में बादल परिवार, तेलंगाना में केसीआर के परिवार और तमिलनाडु में करुणानिधि तथा एमके स्टालिन जैसे परिवारों ने पीढ़ियों तक सत्ता संभाली है।
थरूर के इस लेख पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसे कांग्रेस नेतृत्व के प्रति थरूर की निराशा बताया। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी राहुल गांधी और कांग्रेस के भविष्य पर थरूर की हताशा को दर्शाती है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने लेख को “साहसिक और सटीक” करार दिया और कहा कि थरूर ने गांधी परिवार की उस सच्चाई को उजागर किया है जिसने भारतीय राजनीति को पारिवारिक व्यवसाय बना दिया।
वहीं, कांग्रेस नेताओं ने इस बयान का बचाव किया। कांग्रेस सांसद उदित राज ने कहा कि परिवारवाद केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि डॉक्टर, व्यापारी और अभिनेता भी अपने परिवार के पेशे को अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि असली समस्या यह है कि अवसर केवल कुछ परिवारों तक सीमित रह जाते हैं। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी कहा कि लोकतंत्र में अंतिम फैसला जनता करती है और किसी को केवल इसलिए चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसके पिता या माता राजनीति में रहे हों।