मुंबई, 07 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे शुक्रवार को जलगांव के मुक्ताईनगर में संत मुक्ताई की पालकी यात्रा में शामिल होने के बाद लौट रहे थे, जब जलगांव एयरपोर्ट पर उनके चार्टर्ड विमान के पायलट ने उड़ान भरने से इनकार कर दिया। पायलट ने स्पष्ट किया कि उसकी ड्यूटी के घंटे पूरे हो चुके हैं, ऐसे में वह उड़ान नहीं भर सकता। यह सुनकर मौके पर मौजूद अधिकारी हैरान रह गए और पायलट को मनाने की कोशिश करने लगे, लेकिन वह नियमों का हवाला देते हुए अड़ा रहा। शिंदे के साथ मौजूद मंत्री गिरीश महाजन और गुलाबराव पाटिल ने एयरलाइन कंपनी से बात की और पायलट को स्थिति समझाने की कोशिश की। करीब एक घंटे की बातचीत के बाद एयरलाइन कंपनी के हस्तक्षेप पर पायलट उड़ान भरने को तैयार हुआ।
पायलट की ओर से ड्यूटी टाइम खत्म होने का हवाला देना विमानन नियमों के अनुरूप था। किसी भी पायलट की ड्यूटी उस समय से मानी जाती है जब वह एयरपोर्ट पर रिपोर्ट करता है और तब तक रहती है जब तक उसे रेस्ट पर नहीं भेजा जाता। दिन और रात की शिफ्ट, उड़ानों की संख्या, फ्लाइट की लंबाई और क्रू की स्थिति जैसे कई कारकों के आधार पर ड्यूटी टाइम 8 से 13 घंटे तक हो सकता है। इसके बाद पायलट को कम से कम 12 से 14 घंटे का विश्राम जरूरी होता है। यदि नियमों का उल्लंघन किया जाए तो यह फ्लाइट सेफ्टी के लिए जोखिम भरा हो सकता है, हालांकि विशेष परिस्थितियों में एयरफोर्स, सरकार या DGCA के निर्देश पर अपवाद भी हो सकते हैं।
इसी देरी के दौरान एयरपोर्ट पर एक महिला यात्री शीतल बोर्डे को देखा गया जो परेशान होकर इधर-उधर घूम रही थी। उसने बताया कि वह किडनी की मरीज है और मुंबई में सर्जरी के लिए जा रही थी, लेकिन उसकी फ्लाइट छूट गई। यह बात शिंदे के कार्यकर्ताओं तक पहुंची जिन्होंने मंत्री गिरीश महाजन को इसकी जानकारी दी। जब यह बात शिंदे तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत महिला और उसके पति को अपने चार्टर्ड विमान में बैठा लिया। यात्रा के दौरान शिंदे ने महिला से उसकी तबीयत के बारे में बात की और मुंबई पहुंचते ही एम्बुलेंस की व्यवस्था करवाई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि महिला को बिना किसी देरी के अस्पताल पहुंचाकर उसका इलाज शुरू हो सके। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल विमानन सुरक्षा नियमों की अहमियत को उजागर किया बल्कि एक जनप्रतिनिधि की संवेदनशीलता और तत्परता की मिसाल भी पेश की।