पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध ने अब वैश्विक चिंता का रूप ले लिया है। मिसाइलों की बौछार, सेना की तैनाती और धमाकों के बीच एक और बड़ी खबर सामने आई है – अमेरिका अब इस संघर्ष में अपनी भूमिका को लेकर गंभीर मंथन कर रहा है। व्हाइट हाउस ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के वर्तमान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का बयान पढ़कर सुनाया, जिससे वैश्विक भू-राजनीति में हलचल मच गई।
🇺🇸 ट्रंप ने दी दो टूक चेतावनी
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप का लिखित बयान पढ़ते हुए कहा,
“ईरान को दो हफ्तों के भीतर युद्धविराम की दिशा में ठोस कदम उठाना होगा, अन्यथा अमेरिका कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रंप अभी भी यह मानते हैं कि बातचीत की संभावना खत्म नहीं हुई है, और अगर ईरान की ओर से कूटनीतिक प्रस्ताव आता है, तो अमेरिका उसका जवाब देने को तैयार रहेगा। लेकिन समय बहुत कम है – दो हफ्ते। इसके बाद अमेरिका को मजबूरी में कोई बड़ा कदम उठाना पड़ सकता है।
अमेरिका नहीं बनने देगा ईरान को परमाणु ताकत
प्रेस सचिव लेविट ने एक और अहम मुद्दे पर अमेरिकी रुख को दोहराते हुए कहा कि
“ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार विकसित नहीं करने दिए जाएंगे। ट्रंप प्रशासन इस बात पर अडिग है कि ईरान के पास परमाणु शक्ति का विकास वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।”
यह बयान सीधे तौर पर ईरान की परमाणु नीति पर निशाना है, क्योंकि पश्चिमी देशों को लंबे समय से संदेह है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को हथियारों के रूप में उपयोग करने की योजना बना रहा है।
सातवें दिन भी जारी है युद्ध, दोनों देश अड़े हैं अपने रुख पर
इस युद्ध को शुरू हुए एक हफ्ता हो चुका है, और अब तक कोई शांति की उम्मीद नज़र नहीं आ रही है।
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इजरायल लगातार ईरान के सैन्य और संवेदनशील ठिकानों पर एयरस्ट्राइक और मिसाइल हमले कर रहा है।
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वहीं, ईरान भी पीछे नहीं हटा है। वह इजरायल के उत्तरी हिस्सों में दागे गए मिसाइलों के जरिए जवाबी हमला कर रहा है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने स्पष्ट कर दिया है कि ईरान किसी दबाव में नहीं झुकेगा, और इस युद्ध में पूरी ताकत झोंक दी जाएगी।
नेतन्याहू बोले – “खामेनेई भी सुरक्षित नहीं”
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बयान और भी ज्यादा आक्रामक रहा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि
“ईरान में अब कोई भी सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि अयातुल्लाह खामेनेई भी नहीं।”
इस बयान से स्पष्ट है कि इजरायल अब इस युद्ध को सीमित नहीं, बल्कि निर्णायक बनाना चाहता है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ती चिंता
अमेरिका के हस्तक्षेप की संभावना और ट्रंप की चेतावनी ने वैश्विक राजनीति को नई दिशा दे दी है।
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यूरोपियन यूनियन, संयुक्त राष्ट्र, और सऊदी अरब जैसे देश पहले से ही युद्धविराम के पक्षधर हैं और डिप्लोमैटिक समाधान की बात कर रहे हैं।
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लेकिन ट्रंप का यह दो टूक रुख दबाव और धमकी की नीति को दर्शाता है, जिससे मामला और उलझ सकता है।
युद्ध के प्रमुख कारण
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सीरिया और गाजा में बढ़ती ईरानी गतिविधियां,
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लेबनानी हिज़्बुल्लाह के साथ संबंध,
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और परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव इस युद्ध के मूल कारण हैं।
इजरायल को आशंका है कि ईरान की गतिविधियां उसके लिए खतरा बन रही हैं। वहीं, ईरान इजरायल पर ‘फिलिस्तीनियों के दमन’ का आरोप लगाता रहा है।
क्या हो सकते हैं आगे के संभावित कदम?
यदि ईरान बातचीत के लिए तैयार हुआ:
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अमेरिका के नेतृत्व में संयुक्त वार्ता शुरू हो सकती है
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संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर संभव हैं
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ईरान पर सशर्त राहत मिल सकती है
यदि युद्ध जारी रहता है:
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अमेरिका सीमित सैन्य हस्तक्षेप कर सकता है
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यूएन शांति सेना की तैनाती हो सकती है
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वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों में तेजी, सिक्योरिटी संकट
निष्कर्ष: दो हफ्तों में तय होगा युद्ध या शांति का रास्ता
ट्रंप का बयान स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका अब मूकदर्शक नहीं रहेगा। अगर ईरान दो हफ्तों के भीतर युद्ध नहीं रोकता, तो वॉशिंगटन अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा।
“ट्रंप का संदेश साफ है – अगर शांति नहीं चाहोगे, तो ताकत से झुकाया जाएगा।”
अब दुनिया की निगाहें दो हफ्तों पर टिकी हैं – क्या ईरान झुकेगा, या अमेरिका का अगला कदम इस संघर्ष को वैश्विक युद्ध में बदल देगा? आने वाले दिन बेहद निर्णायक होंगे।