अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष और भी गहरा गया है। सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रही शांति वार्ता के बीच, पाकिस्तान सरकार ने देश में वर्षों से रह रहे हजारों अफगान नागरिकों को निष्कासित करने का एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। सरकार ने अवैध रूप से रह रहे अफगानों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द देश छोड़ने का कड़ा निर्देश दिया है।
अफगानों को आश्रय देने वाले पाकिस्तानियों पर भी कार्रवाई
शहबाज़ शरीफ सरकार ने न सिर्फ अफगान नागरिकों पर सख्ती दिखाई है, बल्कि पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भी एक कठोर आदेश पारित किया है। इस आदेश के तहत: जो भी पाकिस्तानी नागरिक अवैध अफगानों को अपने घर या दुकान किराए पर देंगे, या उन्हें रोजगार प्रदान करेंगे, उन्हें सजा दी जाएगी। पाकिस्तान के सभी राज्यों, जिलों और शहरों में पुलिस बड़े पैमाने पर छापेमारी कर रही है। कई अफगान नागरिकों के घर गिराए गए हैं और उनके बिजली-पानी जैसी बुनियादी ज़रूरतों की सप्लाई भी रोक दी गई है, जिससे एक मानवीय संकट पैदा हो रहा है।
TTP हमलों से उपजा ताजा विवाद
पाकिस्तान सरकार का तर्क है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) आतंकियों के बढ़ते हमलों और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के चलते यह कदम उठाना ज़रूरी हो गया है। पाकिस्तान ने लंबे समय से अफगानिस्तान पर TTP और बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी के आतंकियों को अपनी धरती पर पनाह देने का आरोप लगाया है। यह ताजा विवाद तब भड़का जब पाकिस्तान ने 10 अक्टूबर को अफगानिस्तान के काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले किए, जिसमें TTP नेता नूर वली मेहसूद को ढेर करने का दावा किया गया। इन हमलों में कई अफगान नागरिक और तालिबान लड़ाके भी मारे गए थे।
तालिबान की कड़ी आलोचना
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। अफगान सरकार का कहना है कि पाकिस्तान अपनी राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी रंजिश बेकसूर अफगान नागरिकों से बदला लेकर निकाल रहा है। काबुल ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए जवाब में पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर हमला किया, जिसमें पाकिस्तानी सेना के जवान मारे गए और तालिबान लड़ाकों ने कई चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया। डूरंड लाइन पर बढ़ते तनाव को देखते हुए दोनों देशों ने एक-दूसरे से लगती सीमाओं को बंद कर दिया, जिससे व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ।
कतर और तुर्की की मध्यस्थता
बढ़ते सैन्य टकराव को देखते हुए, कतर ने मध्यस्थता की और दोनों देशों को युद्धविराम के लिए राजी किया।
19 अक्टूबर: दोहा में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आमने-सामने बैठे और तुर्की-कतर के प्रतिनिधियों के सामने युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए।
25 अक्टूबर: दोनों देशों ने इस्तांबुल में फिर बातचीत की और युद्धविराम को 7 दिन के लिए बढ़ाने का फैसला किया।
अब दोनों देशों के बीच शांति वार्ता 6 नवंबर को होने वाली है, जिसमें सीमा खोलने और व्यापार बहाल करने पर बातचीत संभव है।
हालांकि, शांति प्रयासों के बीच, 2-3 नवंबर की रात को पाकिस्तानी सेना के हमले में अफगानिस्तान के 3 क्रिकेटर मारे गए, जिससे तनाव फिर भड़क गया है। अफगानिस्तान ने इस हमले के विरोध में पाकिस्तान के साथ होने वाली आगामी क्रिकेट सीरीज़ से अपना नाम वापस ले लिया है, जिससे राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है।