बांग्लादेश में शेख हसीना के विरोधी और छात्र आंदोलन से जुड़े नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। राजधानी ढाका सहित कई बड़े शहरों में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि उग्र भीड़ ने बांग्लादेश के पूर्व शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी के घर को भी निशाना बनाया और उसमें आग लगा दी। इस पूरी घटना ने न सिर्फ बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति को झकझोर दिया है, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है।
पूर्व शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने उस्मान हादी की मौत को लेकर अंतरिम सरकार और खासतौर पर मोहम्मद यूनुस पर तीखे आरोप लगाए हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “उस्मान हादी की मौत का भारतीय हाई कमीशन से क्या लेना-देना है। उस्मान हादी एक कट्टरपंथी था, जो खुलेआम दूसरों का खून बहाने की बात करता था।” मोहिबुल हसन का दावा है कि इसी घटना को बहाना बनाकर यूनुस सरकार ने अन्य कट्टरपंथी राजनीतिक दलों की मदद से हादी के समर्थकों और चरमपंथी तत्वों को भड़काया, ताकि पूरे देश में दंगे फैलाए जा सकें।
हिंसा की आग में झुलसा ढाका
उस्मान हादी की मौत की खबर सामने आते ही ढाका, चिटगांव और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। देखते ही देखते ये प्रदर्शन हिंसक हो गए। जगह-जगह आगजनी, सड़कों पर अवरोध और सरकारी व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आईं। सबसे चौंकाने वाली घटना तब हुई, जब प्रदर्शनकारियों ने पूर्व शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी के आवास पर हमला कर उसे आग के हवाले कर दिया। यह घटना साफ संकेत देती है कि राजनीतिक विरोध अब व्यक्तिगत हमलों और हिंसा के खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।
सिंगापुर में जनाजा की अनुमति नहीं
शरीफ उस्मान हादी की मौत सिंगापुर में इलाज के दौरान हुई। सिंगापुर स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के अनुसार, हादी की पहली नमाज-ए-जनाजा सिंगापुर में आयोजित की जानी थी, लेकिन वहां की सरकार से अनुमति न मिलने के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इस फैसले के बाद हादी के समर्थकों में और नाराजगी फैल गई। माना जा रहा है कि जनाजा को लेकर पैदा हुआ असंतोष भी बांग्लादेश में हिंसा भड़कने की एक वजह बना।
हादी शेख हसीना सरकार के मुखर विरोधी माने जाते थे और जुलाई विद्रोह के दौरान वे एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे थे। उनके समर्थक उनकी मौत को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं, जबकि विरोधी खेमा उन्हें कट्टरपंथी और हिंसा भड़काने वाला नेता करार दे रहा है।
यूनुस सरकार पर चुनाव टालने के आरोप
मोहिबुल हसन चौधरी का आरोप है कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार इस पूरे घटनाक्रम का इस्तेमाल चुनाव में देरी करने के लिए कर रही है। उनके मुताबिक, अराजकता और अस्थिरता का माहौल बनाकर यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि देश चुनाव के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय हाई कमीशन को निशाना बनाने की कोशिश के पीछे भारत को उकसाने और अंतरराष्ट्रीय दबाव पैदा करने की रणनीति थी।
भारत में भी सियासी प्रतिक्रिया
बांग्लादेश में जारी हिंसा पर भारत में भी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बांग्लादेश में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर टीएमसी हमेशा केंद्र सरकार और देश के साथ खड़ी रही है। हालांकि, पार्टी ने बीजेपी के कुछ नेताओं के बयानों पर आपत्ति जताई है।
टीएमसी ने कहा कि बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की स्थिति की तुलना करना और यह कहना कि ऐसी घटनाएं भारत में भी हो सकती हैं, बेहद खतरनाक सोच है। पार्टी ने इस पूरे मामले पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर से स्पष्टीकरण की मांग की है।
बढ़ता संकट और अनिश्चित भविष्य
कुल मिलाकर, उस्मान हादी की मौत ने बांग्लादेश की राजनीति में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा कर दिया है। हिंसा, आरोप-प्रत्यारोप और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं के बीच देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार हालात को कितनी जल्दी काबू में लाती है और क्या लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समय पर आगे बढ़ाया जाता है या नहीं।