ताजा खबर

ट्रंप की पुतिन और जेलेंस्की के साथ सफल रही मीटिंग, भारत पर लगा अतिरिक्त टैरिफ हटाया जाएगा?

Photo Source :

Posted On:Tuesday, August 19, 2025

रूस और यूक्रेन युद्ध के समाधान को लेकर व्हाइट हाउस और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सक्रियता पर भारत की पैनी नजर है। खासकर तब जब अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत पर 50 प्रतिशत तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला किया है। यह टैरिफ मुख्य रूप से इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीदारी जारी रखी है, जो अमेरिका की रूस के खिलाफ लगाए आर्थिक प्रतिबंधों के सीधे खिलाफ है। अमेरिका ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के समाधान की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए गए, तो यह टैरिफ हटाया भी जा सकता है। इसलिए, इस मामले में पुतिन और जेलेंस्की की आगामी मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

क्या टैरिफ को टाला जा सकता है?

15 अगस्त को डोनाल्ड ट्रंप की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात हुई, जिसे ट्रंप ने सफल बताया। इसके बाद उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से भी मुलाकात की, जो उन्होंने एक सफल बैठक बताया। इन बैठकों के बाद अमेरिका की उस घोषणा की तरफ भारत का ध्यान गया, जिसमें कहा गया था कि अगर इन मुलाकातों से युद्ध समाप्ति की उम्मीद जगे तो भारत पर लगाए गए टैरिफ को हटाया जा सकता है।

इन हालिया बैठकों के परिणामों के आधार पर भारत उम्मीद कर रहा है कि जल्द ही अमेरिका टैरिफ हटाने का फैसला ले सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध सामान्य हो सकेंगे। भारत के लिए यह आर्थिक और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि रूस से सस्ता तेल खरीदना उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है।

अमेरिका के अंदर भी जारी दबाव

इस मामले में अमेरिका के कुछ कड़े रुख वाले नेता भी सक्रिय हैं। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को सलाह दी कि वे पुतिन को साफ संदेश दें कि यदि रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं रुका तो वे उन देशों को निशाना बनाएंगे जो रूस से सस्ता तेल और गैस खरीद रहे हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका अपने रूख में सख्ती बरतने को तैयार है, और इस वजह से भारत के लिए यह फैसला और भी जटिल हो जाता है।

भारत पर टैरिफ का प्रभाव

27 अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत तक का अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा, जो भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। इस टैरिफ के चलते अमेरिका में भारतीय उत्पादों की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है। हालांकि अभी तक इस टैरिफ पर कोई आधिकारिक घोषणा या विस्तार से जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ इसे भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव का संकेत मान रहे हैं।

आगे क्या हो सकता है?

भारत की नजर अब पूरी तरह से रूस और यूक्रेन के बीच शांति प्रक्रिया पर टिकी हुई है। यदि पुतिन और जेलेंस्की की अगली मुलाकात सकारात्मक परिणाम लेकर आती है और युद्ध समाप्ति की राह आसान होती है, तो अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को हटाया जा सकता है। वहीं, यदि युद्ध जारी रहता है, तो टैरिफ लागू होकर दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में जटिलताएं बढ़ सकती हैं।

निष्कर्ष

रूस-यूक्रेन युद्ध की जटिलताओं और अमेरिका की व्यापार नीतियों के बीच फंसे भारत के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है। ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक हित और वैश्विक राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए भारत को बेहद सावधानी से अपनी रणनीति बनानी होगी। वहीं, अमेरिका और रूस के बीच शांति प्रयासों की सफलता न केवल इस क्षेत्र बल्कि विश्व की आर्थिक स्थिरता के लिए भी अहम होगी। भारत की यह उम्मीद है कि आगामी शांति वार्ता से सकारात्मक परिणाम निकलेंगे और व्यापारिक माहौल बेहतर होगा।


इन्दौर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. indorevocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.