मुंबई, 19 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीन के विदेश मंत्री वांग यी इन दिनों भारत दौरे पर हैं। 18 अगस्त को दिल्ली पहुंचे वांग यी ने सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत की। इस दौरान चीन ने भारत को खाद, रेयर अर्थ मटेरियल और टनल बोरिंग मशीन की सप्लाई फिर से शुरू करने का भरोसा दिया। ANI की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में चीन ने इन जरूरी मशीनों और रेयर अर्थ मटेरियल की डिलीवरी पर रोक लगा दी थी। यह रोक इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों को प्रभावित कर रही थी। हालांकि अब चीनी विदेश मंत्री ने साफ किया है कि चीन भारत को इन वस्तुओं की आपूर्ति करेगा।
वांग यी ने मुलाकात के दौरान कहा कि दुनिया में हालात तेजी से बदल रहे हैं और फ्री ट्रेड व अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों को जिम्मेदारी दिखाते हुए सहयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनसे मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि वांग यी से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद से भारत-चीन संबंधों में लगातार प्रगति हो रही है और वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में तियानजिन में होने वाली अगली मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं।
वांग यी और NSA अजीत डोभाल की बैठक में सीमा मुद्दे पर चर्चा हुई। वांग यी ने कहा कि पिछले वर्षों में जो समस्याएं आईं, वे दोनों देशों के लोगों के हित में नहीं थीं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछली मुलाकात को द्विपक्षीय रिश्तों के लिए अहम बताते हुए इसे सीमा विवाद सुलझाने में नई ऊर्जा देने वाला बताया। डोभाल ने विश्वास जताया कि यह वार्ता भी पहले की तरह सफल रहेगी। उन्होंने कहा कि हाल के समय में रिश्तों में सुधार हुआ है, सीमा पर शांति और स्थिरता बनी हुई है और द्विपक्षीय संबंध मजबूत हो रहे हैं।
गौरतलब है कि 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ने के बाद रिश्ते बिगड़ गए थे। हालांकि हाल के महीनों में लगातार बातचीत और समझौतों के जरिए रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिशें तेज हुई हैं। चीन ने इससे पहले अप्रैल में सात रेयर अर्थ मटेरियल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी और जुलाई 2025 की शुरुआत में भारत को जरूरी मशीनों की डिलीवरी भी रोक दी थी। इसके साथ ही फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों के 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियरों और टेक्नीशियन्स को वापस बुला लिया गया था। माना गया कि इसका असर भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ा।