18 अगस्त 2025 का दिन भारत के व्यापारियों और उद्यमियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है। केंद्र सरकार लोकसभा में जनविश्वास (संशोधन) 2.0 विधेयक पेश करने जा रही है, जिसे देश में व्यापार को आसान और कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। इस विधेयक में 350 से अधिक नियमों और प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे व्यापार जगत को सीधा लाभ होगा।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले इस बिल का उद्देश्य छोटे और गैर-गंभीर अपराधों में सजा को हटाकर, एक ऐसा न्यायसंगत और व्यवसाय के अनुकूल वातावरण बनाना है, जहां व्यापारियों को अनावश्यक कानूनी परेशानियों से गुजरना न पड़े।
क्या है जनविश्वास (संशोधन) 2.0 विधेयक?
यह विधेयक व्यापार से संबंधित कई पुराने और अप्रासंगिक कानूनी प्रावधानों को सुधारने का प्रयास है। इसमें विशेष रूप से ऐसे अपराधों पर ध्यान दिया गया है, जिन्हें अक्सर तकनीकी या प्रशासनिक भूल माना जाता है, लेकिन जिनके लिए अब तक जेल की सजा या भारी जुर्माना तय था। नए प्रस्ताव में इन अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा या उनके लिए केवल चेतावनी या नाममात्र का जुर्माना रखा जाएगा।
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य है Ease of Doing Business यानी ‘व्यवसाय करना आसान बनाना’ और सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास की भावना को और मजबूत करना।
क्या होंगे प्रमुख बदलाव?
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350 से ज्यादा नियमों में संशोधन किया जाएगा।
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कई मामलों में सजा पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी। हालांकि ये कार्य अभी भी कानूनन गलत (गैरकानूनी) माने जाएंगे।
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कुछ मामलों में सजा हटाकर सिर्फ जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
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वहीं कुछ गैरगंभीर प्रावधानों के लिए सजा और जुर्माना दोनों ही समाप्त कर दिए जाएंगे।
इसका मतलब यह है कि सरकार अब व्यापारियों को अपराधी नहीं मानना चाहती, बल्कि सुधार और जागरूकता के माध्यम से उन्हें सही दिशा में ले जाना चाहती है।
इससे पहले क्या हुआ था?
सरकार ने इससे पहले 2023 में जन विश्वास (संशोधन) बिल 1.0 पास किया था, जिसमें 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था। उस समय यह बदलाव 42 केंद्रीय अधिनियमों और 19 मंत्रालयों से जुड़े कानूनों में किए गए थे। सरकार का तर्क था कि इन बदलावों से व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन सरल होगा और आम नागरिकों तथा उद्यमियों पर अनावश्यक कानूनी बोझ नहीं पड़ेगा।
पीएम मोदी की दूरदर्शिता का परिणाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लाल किले से अपने भाषण में Next Generation Reforms की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि देश में कई ऐसे कानून हैं जो मामूली बातों पर भी जेल भेजने का प्रावधान रखते हैं, और इन कानूनों को बदलना समय की मांग है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे “औपनिवेशिक सोच” वाले कानून, जो नागरिकों पर अविश्वास का प्रतीक हैं, उन्हें अब समाप्त किया जाना चाहिए।
व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए क्या होगा फायदा?
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व्यापार में कानूनी जटिलताएं कम होंगी।
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छोटे-मोटे उल्लंघनों पर अब जेल का डर नहीं रहेगा।
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सरकारी निरीक्षणों की संख्या घटेगी, जिससे व्यापार अधिक निर्बाध रूप से चल सकेगा।
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स्टार्टअप और MSME सेक्टर को राहत मिलेगी, जो अक्सर नियमों की जटिलता के चलते परेशान रहते हैं।
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इससे फॉर्मल इकॉनमी में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
निष्कर्ष
जनविश्वास (संशोधन) 2.0 बिल केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, यह सरकार के उस दृष्टिकोण का प्रतीक है जो व्यापारियों और उद्यमियों में विश्वास बहाल करना चाहता है। यह विधेयक उस बदलाव का हिस्सा है, जो भारत को आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में ले जा रहा है। यदि यह बिल पास होता है, तो निश्चित ही यह देश के कारोबारी माहौल को और भी सकारात्मक और सहायक बनाएगा।