यादगीर जिला प्रशासन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के गृह क्षेत्र गुरमितकल शहर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को रूट मार्च निकालने की सशर्त अनुमति दे दी है। आरएसएस अपना शताब्दी समारोह मना रहा है, जिसके तहत इस मार्च का आयोजन किया गया है। गुरमितकल विधानसभा सीट से मल्लिकार्जुन खरगे आठ बार विधायक रह चुके हैं, जिसके कारण इस मार्च को राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील माना जा रहा है।
सरकारी आदेश और सुरक्षा जांच
आरएसएस के जिला प्रचारक प्रमुख बसप्पा संजनोल द्वारा रूट मार्च के लिए आवेदन दिए जाने के बाद, बुधवार को एक सरकारी आदेश के जरिए इसकी इजाजत दी गई। प्रशासन ने अनुमति देने से पहले सुरक्षा व्यवस्था और प्रस्तावित रूट की पूरी जांच की। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक की राजनीति में आरएसएस की गतिविधियों को लेकर बहस तेज है।
निर्धारित रूट और समापन स्थल
पुलिस और जिला प्रशासन ने मार्च के लिए एक निर्धारित रूट तय किया है। जुलूस को निम्नलिखित प्रमुख स्थानों से गुजरने की अनुमति दी गई है:
सम्राट सर्कल
एपीएमसी सर्कल
हनुमान मंदिर
मराठावाड़ी
पुलिस स्टेशन रोड
मिलन चौक
सिहिनीरू बावी मार्केट मेन रोड
यह रूट मार्च राम नगर में जाकर समाप्त होगा। प्रशासन ने शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे रास्ते में पुलिस की पूरी सुरक्षा व्यवस्था रखने का निर्देश दिया है।
शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए 10 कड़ी शर्तें
जिला प्रशासन ने रूट मार्च की अनुमति के साथ ही आयोजकों के सामने 10 महत्वपूर्ण शर्तें रखी हैं। इन शर्तों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मार्च शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। इन प्रमुख शर्तों में शामिल हैं:
सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा: आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी सार्वजनिक या निजी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे। यदि कोई नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई का पूरा खर्च आयोजकों को ही उठाना होगा।
तय रूट का पालन: आरएसएस के स्वयंसेवकों को निर्धारित रूट पर ही सख्ती से चलना होगा और मार्ग से भटकने की इजाजत नहीं होगी।
धार्मिक/जातीय सद्भाव: आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जुलूस के दौरान किसी भी जाति या धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले नारे न लगाए जाएं।
शांति भंग करने वाली गतिविधियों पर रोक: शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधि या भड़काऊ भाषण पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
यातायात और व्यापार: जुलूस के दौरान कोई भी सड़क ब्लॉक नहीं की जाएगी और न ही कोई दुकान जबरदस्ती बंद कराई जाएगी।
हथियारों पर प्रतिबंध: जुलूस में किसी भी प्रकार के जानलेवा हथियार या बंदूक ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध है।
प्रशासन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन किया गया, तो आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
खरगे परिवार और RSS की गतिविधियों पर विवाद
इस रूट मार्च की अनुमति को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा स्वाभाविक है, खासकर इसलिए क्योंकि यह निर्णय हालिया विवाद के बाद आया है। हाल ही में, कर्नाटक के कैबिनेट मंत्री और मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक पत्र लिखकर सरकारी और सरकारी मदद वाले स्कूलों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। प्रियांक खरगे की मांग ने राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच एक नई राजनीतिक तकरार को जन्म दिया है। ऐसे माहौल में, मल्लिकार्जुन खरगे के गढ़ में आरएसएस को सशर्त मार्च की अनुमति मिलना प्रशासन के लिए शांति और व्यवस्था बनाए रखने की एक बड़ी चुनौती होगी।