मुंबई, 18 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। रामगढ़ बांध क्षेत्र में ड्रोन के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना फिलहाल डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से मंजूरी के अभाव में अटकी हुई है। ट्रायल के लिए निजी कंपनी जेनेक्स एआई ने 10 हजार फीट तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति मांगी है, जबकि अभी केवल 400 फीट तक उड़ान की इजाजत है। इसी कारण बारिश वाले बादलों तक ड्रोन पहुंच नहीं पा रहा है। राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने केंद्रीय सिविल एविएशन मंत्री राममोहन नायडू से मिलने का समय मांगा है, ताकि जल्द अनुमति दिलाई जा सके। उनका कहना है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह के बाद मानसून लगभग विदा हो जाता है और बारिश वाले बादल मिलना मुश्किल हो जाते हैं। ऐसे में अगर इसी महीने अनुमति नहीं मिली तो पूरा प्रयोग अधर में लटक सकता है। जेनेक्स एआई की टीम पिछले दो सप्ताह से फील्ड में डटी हुई है और मौसम से जुड़े डेटा जुटाने के लिए रोजाना कम ऊंचाई पर ड्रोन उड़ा रही है। कंपनी के अनुसार कृत्रिम बारिश के लिए 60 दिन तक लगातार प्रयोग होने हैं। मंजूरी मिलने के बाद ही ये पूरी तरह शुरू किए जा सकेंगे।
इससे पहले 12 अगस्त को किया गया ट्रायल असफल हो गया था। उस दिन कृषि मंत्री खुद मौजूद थे और बड़ी संख्या में लोग कृत्रिम बारिश देखने पहुंचे थे। भीड़ के कारण ड्रोन उड़ नहीं पाया और बाद में केवल 400 फीट तक ही उड़ाया गया। लेकिन बादल ऊंचाई पर होने से ड्रोन वहां तक नहीं पहुंच पाया और ट्रायल विफल हो गया। रविवार को भी तकनीकी खराबी के कारण एक ड्रोन गांव के पास गिर गया। कंपनी के डायरेक्टर अजिंक्या ने कहा कि इस तरह के प्रयोगों में ऐसी दिक्कतें सामान्य होती हैं। उनका कहना है कि डीजीसीए से मंजूरी मिलते ही 10 हजार फीट तक ड्रोन उड़ाकर कृत्रिम बारिश का असली ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।