फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष में लाखों मासूमों की जानें जा चुकी हैं और गाजा में हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। जो लोग बमबारी और गोलीबारी से बच भी गए हैं, वे अब भुखमरी और जीवन संकट से जूझ रहे हैं। इस पूरी त्रासदी के बीच फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने गाजा में जारी इस जंग को तत्काल रोकने और युद्धविराम की मांग की है। साथ ही, उन्होंने भारत से मानवीय सहायता बढ़ाने और फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी अपील की है।
पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में मुख्य अपीलें
महामूद अब्बास ने अपने पत्र में भारत से आग्रह किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाए और इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए दबाव बनाए। उन्होंने भारत से युद्धविराम की तत्काल मांग की है ताकि निर्दोष नागरिकों की जानें बचाई जा सकें। इसके साथ ही, गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए सभी राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने की भी अपील की गई है ताकि भूखे और बेसहारा लोगों को भोजन, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा सके।
यह पहली बार नहीं है जब फिलिस्तीन ने भारत से समर्थन मांगा है। करीब एक साल पहले भी फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री ने इसी तरह का पत्र प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था, जिसमें शांति स्थापित करने और संघर्ष रोकने की गुहार लगाई गई थी।
गाजा में वर्तमान स्थिति
गाजा की हालत लगातार खराब होती जा रही है। वहां 28 देशों ने संयुक्त बयान जारी कर युद्ध को तुरंत रोकने की मांग की है। इस बयान में बताया गया है कि गाजा के नागरिकों को पर्याप्त सहायता सामग्री नहीं मिल पा रही है, जिससे बच्चों में कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
इजराइली रक्षा बल (IDF) के हमले लगातार जारी हैं। हाल के हमलों में करीब 20 लोग मारे गए हैं, और रोजाना हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में गाजा के हालात अब पहले से कहीं अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं।
निष्कर्ष
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास की भारत से यह अपील दर्शाती है कि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश की भूमिका इस संघर्ष को शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण हो सकती है। युद्धविराम और मानवीय सहायता के जरिए गाजा के निर्दोष नागरिकों की जानें बचाई जा सकती हैं और क्षेत्रीय स्थिरता कायम की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपेक्षा है कि वे इस संकट को देखते हुए तत्काल शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं और मानवीय संकट को कम करने के लिए ठोस कदम उठाएं।