सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर होते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई की, जहाँ मुख्य फोकस पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती और कथित रूप से कम आँकी गई घटनाओं पर रहा। कोर्ट ने इस खतरे से निपटने के लिए एक दीर्घकालिक समाधान निकालने पर ज़ोर दिया है।
पराली जलाने पर एमकस क्यूरी की चिंता
एमकस क्यूरी (न्याय मित्र) अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि पंजाब में अनुमान से कहीं ज्यादा पराली जलाई जा रही है, और वास्तविक घटनाओं को कम करके आँका जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि हज़ारों करोड़ रुपये बचाव के लिए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति बिगड़ती जा रही है।
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सिंह ने CAQM (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि मौजूदा पद्धति से सभी पराली जलाने की घटनाओं की गणना नहीं की जा सकती।
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उन्होंने किसानों के उन बयानों का भी ज़िक्र किया, जिनमें कहा गया है कि उन्हें नासा के उपग्रह के गुज़रने के बाद फसल जलाने का समय बताया जाता है।
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उन्होंने सवाल किया कि पंजाब अभी तक इसका स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाल पाया है।
केंद्र सरकार की दलील
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने पंजाब द्वारा हर साल ऐसे आवेदन दाखिल करने की बात कहकर प्रतिवाद किया।
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उन्होंने बताया कि पंजाब को किसानों की मदद करने वाली मशीनरी के लिए ₹1963 करोड़ दिए गए हैं।
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ASG भाटी ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण वाहनों की वजह से भी है, लेकिन पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ जाता है, और अब हम केवल मौसम के भरोसे नहीं रह सकते।
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उन्होंने CAQM को निर्देश देने की मांग की कि वे यह बताएँ कि किस निगरानी तंत्र का उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि मौजूदा सूचकांक 999 AQI के ऊपर नहीं पढ़ा जा सकता।
कड़े कदम उठाने की ज़रूरत
इस गंभीर मुद्दे पर वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से लोग लंग कैंसर समेत तमाम बीमारियों से मर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि बच्चों के फेफड़े एक बार खराब हुए तो कभी ठीक नहीं होंगे, इसलिए कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि WHO के अनुसार 50 AQI भी ख़तरनाक है, जो दिल्ली-एनसीआर में साल भर रहता है।
CJI ने दीर्घकालिक समाधान पर दिया ज़ोर
मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा कि दिल्ली की गतिविधियों पर विभिन्न राज्यों की एक बड़ी आबादी की आजीविका निर्भर करती है, इसलिए केंद्र को वायु प्रदूषण के ख़तरे से निपटने के लिए दीर्घकालिक समाधान निकालना होगा।
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उन्होंने माना कि इसके लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने से निपटना आवश्यक है।
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CJI ने हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि CAQM द्वारा 13 नवंबर, 2025 की रिपोर्ट में जारी निर्देशों का क्रियान्वयन किया जाए।
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कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस्तेमाल किए जा रहे निगरानी उपकरणों की प्रकृति और दक्षता रिकॉर्ड में दर्ज करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट ने इस मामले को आगे की सुनवाई और प्राधिकारियों से उचित प्रतिक्रिया के लिए 19 नवंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।