ताजा खबर

जिस देश की प्रधानमंत्री थीं शेख हसीना, उसी मुल्क ने उन्हें सुनाई फांसी की सजा; जानें फैसले पर भारत ने क्या कहा?

Photo Source :

Posted On:Tuesday, November 18, 2025

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश के एक कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया, जिसके बाद राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। 2024 में बांग्लादेश में उनके ख़िलाफ़ हुए व्यापक विद्रोह को दबाने के दौरान मासूम लोगों की जान लेने के आरोप में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (International Crime Tribunal) ने उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई है। कोर्ट के इस सज़ा सुनाने के तुरंत बाद, बांग्लादेश की वर्तमान अस्थायी सरकार ने भारत से शेख हसीना को सौंपने का आग्रह करते हुए दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) का हवाला दिया है।

भारत की पहली प्रतिक्रिया: स्थिरता पर ज़ोर

शेख हसीना पर बांग्लादेशी कोर्ट के इस कठोर फैसले और प्रत्यर्पण की मांग पर अब भारत की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है। भारत ने स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि वह "बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा रहेगा, न कि किसी एक पार्टी या नेता के साथ।" भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य यह है कि वह बातचीत और सहयोग की राह पर बढ़ते हुए क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखेगा।

'स्वर्ण युग' का अंत और रिश्ते में खटास

शेख हसीना को बीते 15 सालों (2009 से 2024) के दौरान भारत का सबसे भरोसेमंद पड़ोसी माना जाता था। उनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा और सीमा समझौतों में अभूतपूर्व काम हुआ। 2015 में हुआ 'भूमि सीमा समझौता' (Land Boundary Agreement) दोनों देशों के आपसी भरोसे का प्रतीक बना था। आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने में दोनों सरकारों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, जिस कारण विशेषज्ञों ने इस दौर को भारत-बांग्लादेश संबंधों का 'स्वर्ण युग' कहा था। हालांकि, 2024 के मध्य में छात्रों और आम जनता के बड़े विरोध प्रदर्शनों ने हसीना सरकार की नींव हिला दी। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की देखरेख में एक अस्थायी सरकार बनी, जिसमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और कुछ इस्लामी समूहों की भूमिका अहम रही।

नई चुनौती: चीन-पाक का बढ़ता प्रभाव

शेख हसीना के हटने और नई सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत-बांग्लादेश रिश्तों की दिशा बदल गई है और इसमें खटास आई है। सीमा सुरक्षा, खुफिया एजेंसियों का तालमेल और आतंकवाद विरोधी सहयोग कमज़ोर हुआ है। वहीं, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों और भारत के NRC, CAA जैसे आंतरिक मुद्दों पर राजनीतिक तनाव ने भी माहौल को प्रभावित किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में चीन और पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ा है, और इस्लामी कट्टरपंथी ताकतें भी सक्रिय हो रही हैं। भारत के लिए यह स्थिति सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि दोनों से चुनौतीपूर्ण है। ख़ास तौर पर पूर्वोत्तर सीमा के इलाक़ों में अस्थिरता का सीधा असर देखने को मिल सकता है। भारत की प्रतिक्रिया, जो किसी नेता विशेष के बजाय 'बांग्लादेश के लोगों' को प्राथमिकता देती है, इस जटिल कूटनीतिक चुनौती से निपटने के लिए संतुलन साधने की कोशिश है।


इन्दौर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. indorevocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.